आवश्यक्ता है: आपके गांव में एक इकोदूत की; जो सालाना दस लाख या अधिक कमाना चाहते हों। भूमिका समझने के लिए इसे पढ़ें
चीनी वैचारिक अनिश्चितता और आर्थिक ठहराव के बाद की "समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था" के अधिष्ठाता और भारत की यात्रा पर आने वाले, पहले चीनी राष्ट्राध्यक्ष, जियांग जेमिन के भारत आगमन के दिन; विकास से कोसों दूर, एक निहायत छोटे से, सुदूर गांव में; एक सीमांत कृषक के घर, एक कच्ची सी झोंपड़ी में, परेश का जन्म हुआ था।
23 साल बाद.........
विश्वव्यापी महामारी और फिर कृषि में लगने वाले बीज, खाद, ईंधन, दवा की आसमान छूती कीमतें। बाजार में खेती की उपज की कीमत की अनिश्चितता। बिजली की गड़बड़ी, सूखा, पाला, बाड़ और टिड्डी/जानवरों से रातदिन खेती उजड़ने का जोखिम।
इस सबने जैसे तैसे घिसटते परेश के कुटुम्ब की जिंदगी को; अनिश्चित भविष्य की ओर धकेलने में, कोई कसर नहीं छौड़ी।
इधर दो महिने बाद; परेश की शादी होने वाली थी। तंगी, बदहाली और बेरोजगारी के चलते; गहन निराशा में डूबा हुआ था वह।
अभी तक की जिंदगी में, परेशानी से थककर, कभी न बैठने वाले परेश ने; निर्णय ले लिया था।
यदि मां के लिए एक बहू, घर में लेकर आना है; तो अब अकेले खेती से, काम नहीं चलने वाला।
कुछ तो और करना ही करना है, खेती के अलावा।
इसी धड़पड़ के चलते, एक दिन इंटरनेट पर उसे पारकेम्प® की जानकारी मिली।
जिसके आधार पर परेश ने पारकेम्प® साइट से "शिविर समन्वयक" इकोदूत के लिए निशुल्क आवेदन कर दिया ऑनलाइन।
परेश ने जाना:
कि एक पिन कोड क्षैत्र में, 14 हजार परिवारों में; 70 हजार आबादी रहती है। जिसमें तकरीबन 18 से 38 साल उम्र के 25 हजार युवा अभी रहते हैं।
हर साल इसमें बारह सौ, नये बच्चे भी; वयस्कता गांठते हुए रोजगार मांगने की लाइन में और जुड़ जाते हैं।
यदि उनमें से 500 को किसी एक साल में, रोजगार से लगाया जाये; तो अगले 50 साल तक; आपके पास लगातार काम, बना ही रहने वाला है।
परेश ने यह भी समझा कि आरंभ के 2 महीनों में, अपने आजू-बाजू के सभी गांवों में, एक-एक दिन मिलजुल आयें; तो न सिर्फ अपना व्यवसाय हमेशा के लिये जम जायेगा बल्की अपना जान पहचान का दायरा भी बढ़ जायेगा।
अपने बारे में हर गांव में खबर रहेगी कि; हां यदि किसी को नौकरी की जरूरत है, तो संपर्क कहां करना है?
संपर्क किससे करना है?
परेश की जिज्ञासा थी:
"तो अपने अगले 2 महीने तक; पड़ोस के गांव में जाने का खर्चा, कौन उठाएगा"?
जिज्ञासा का जवाब था;
इसके लिए पारकेम्प® ने एक पंजियन-पुस्तिका विकसित करवाई है।
जिसकी कीमत ₹20 है अभी।
थौक में यह पुस्तिका लेने पर, तकरीबन आधी कीमत; अपने पास बचती है।
परेश ने अन्दाज़ा लगाया, अपने नजदीक के गांवों में जाने के लिए; और वहां पर एक रात रुकने के लिए, वह भरपूर है।
परेश ने इकोदूत हेतु आवेदन करने के 1 सप्ताह के अंदर ही, पूरा पढ़ समझ कर पंजीयन पुस्तिका के लिए अनुरोध कर दिया; इस पेज के नीचे से।
और फिर रोज वीपीपी की प्रस्थान प्रगति की ताजा जानकारी रखने लगा।
जैसे ही उसे पता चला कि वीपीपी नजदीक तक पहुंच गई हे, परेश ने फटाफट पैसों का बन्दोबस्त किया; ओर पोस्टमेन के आने के समय, अपने आपको घर पर रखना सुनिश्चित किया।
पन्दरह दिन के अन्दर वीपीपी के माध्यम से पंजियन-पुस्तिकाओं का पहला बण्डल आ गया।
बण्डल आते ही, कौतुहल वश बण्डल खोलकर; एक झटके में पंजियन-पुस्तिका को; पूरा पढ़ डाला।
परेश के पास पंजीयन पुस्तिका आते ही, एक विशेष पृष्ठ जिसमें आगे की समस्त जानकारी थी, वह उसको मेल और s.m.s. के माध्यम से मिल गया।
अगले दिन परेश; पड़ौस के गांव में.....
उस गांव में राकेश और उसके दोस्तों के गांव की चौपाल पर परेश पहुंचा और परेश ने बताया कि कैसे गांव के गरीब युवा भी सरपंच जितनी समृद्धि अपनी मेहनत से हासिल कर सकते हैं? तब राकेश को मां की बात याद आ गयी; उसकी बहन की शादी के बारे में, और परेश की बात ने, उसकी जिज्ञासा ज़गा दी.
समृद्धि की चाभी
के तौर पर यह छोटी सी पंजियन-पुस्तिका; परेश ने थमा दी; राकेश के हाथ में।
कुछ 8-10 पन्ने पढ़ने पर; राकेश की आंखों में एक चमक आ गई।
ज़ब राकेश ने पंजियन-पुस्तिका की कीमत पूछी; तब सरपंच के बेटे ने अपने दोस्तों; जिन्होंने उस की बरात में जाकर उनके गांव की इज्जत बढाई थी; का चेहरा देखा, तो भांप गया अपने सभी दोस्तों की परिस्थिति। उसने फटाक से पांचसौ का नोट निकाला और बांट दीं पच्चीस पंजियन पुस्तिकायें; परेश से लेकर, अपने दोस्तों में।
परेश ने उसके इस व्यवहार को देखकर; एक पंजियन-पुस्तिका सरपंच के बेटे को दे दी, उपहार स्वरूप।
परेश रात भर रुका सरपंच के यहां।
वहां राकेश के पच्चीसों दोस्तों का पंजियन किया।
सुबह दूसरे दिन
गांव से निकलने वाली एक मोटर साइकिल, के पीछे बैठ कर परेश निकल पड़ा; बाजू के दूसरे गांव में।
परेश ने पहिले ही दिन, पहिले ही गांव में; अपने पिट्ठू थैले में से न सिर्फ वजन कम कर लिया; बल्कि जेब में रुपये जमा कर लिए; बगैर खेत जोते, बीज बोये, खेती के अलावा की अपनी पहली कमाई से।
अगले 3 दिन.....
+1 दिन: परेश ने दूसरे गांव पहुंच कर वहां राकेश के गांव की अपनी कहानी सुनाई।
वहां दिन भर अपने हम उम्रों के साथ घूमते; बैरोजगारी की समस्या और पारकेम्प® की सम्भावना पर चर्चा करते बिताया।
शाम होते-होते परेश चौपाल पर जा पहुंचा।
राकेश का दोस्त पंचम भी परेश को चौपाल पर मिल गया।
पंचम ने अंधेरा होते-होते अपने दोस्तों को बुला लिया।
किसानी के ऊपर बड़ते परिवार का बौझा, कमाई व जीवन यापन के सम्मान दायक अवसरों की अनिश्चितता के चलते; पंचम के बहुतेरे दोस्तों ने, परेश से; पारकेम्प® के लिये अपना-अपना पंजियन कराया।
+2 दिन: परेश निकल पड़ा अगले नजदीकी गांव।
उसे मिल गया दशरथ; गांव के रस्ते में।
पिट्ठू थैले में फिर वजन कम; पर जेब थोड़ी और भारी।
+3 दिन: परेश निकल पड़ा अगले नजदीकी गांव।
यहां मिल गया वल्लभ; गांव के मुहाने पर।
पिट्ठू थैले में फिर वजन कम; पर जेब थोड़ी और भारी।
चौथे दिन....
परेश निकल पड़ा अगले नजदीकी गांव।
यहां
गांव से थौड़ी दूर, तिराहे पर ही; पहले अपने गांव के लिये लिवाने; उसे मिल गया उत्तम।
अब तो आस-पड़ौस के गांवों मे, हवा फैल चुकी थी; उसके आगमन की।
पिट्ठू थैले में फिर वजन कम; पर जेब थोड़ी और भारी।
.........................
परेश निकल पड़ा अगले नजदीकी गांव।
पिट्ठू थैले में फिर वजन कम; पर जेब थोड़ी और भारी।
तीसवे दिन....
पुस्तिका के अंतिम पृष्ठ पर; आवेदक का नाम, फोन नंबर वा जन्म वर्ष भरने पर उस इलाके में, आयोजित होने वाले; "जोश स्र्झान पहचान शिविर" की जानकारी, समय रहते, मिलने का बन्दोबस्त परेश ने, अपनी शीट में दर्ज करके कर दिया।
तीस दिन में ही परेश का पिट्ठू थैला खाली हो गया। पर उसकी शीट में 500 बैरोजगारों के नाम, जन्मवर्ष & मोबाइल दर्ज हो चुके थे।
और उसके ईमेल बॉक्स में शिविर समन्वयन हैतु पारकैंप का "अधिकृत इकोदूत अनुज्ञा पत्र" आ पहुंचा।
शिविर स्थल पर, यही पुस्तिका; आवेदक के “पहचान पत्र” के तौर पर; उपयोग की गयी।
इतना कर लेने से; भविष्य में परेश की आय का, एक अनवरत संसाधन; परेश को उपलब्ध हो गया।
इलाके में बेरोजगारी की स्थिति अनुसार, परेश सालाना 500 से अधिक पंजियन-पुस्तिका; मंगा कर भरवाने लगा।
2 साल बाद.........
हम देखते क्या हैं?
परेश ने दो ही साल में घर की दशा ही बदल डाली. चार पहिए की चमचमाती गाड़ी दरवाजे के सामने खड़ी थी।
दो चार नहीं बल्कि पूरी 500 से ज्यादा गाड़ियां सामने खेतों में खड़ी हुयीं थीं।
गाड़ियां थी राकेश समेत उन नव युवाओं की; जो अभी 2 साल पहले तक बेरोजगारी से लड़ते हुए; आत्महत्या के कगार पर जा कर खड़े हो चुके थे।
इंटरनेट पर परेश की पारकेम्प® से मुलाकात ने; न सिर्फ बेरोजगार परेश की बल्कि आसपास के तीन कोस के गांवों की किस्मत ही चमका दी।
इलाके की समृद्धि देख-सुन कर, बाम्बे-दिल्ली और सऊदी गये लड़के भी; अब एक-एक कर के गांव वापस लौटना शुरू हो गये; अपने-अपने बूढ़े मां बाप के पास।
इस प्रकार पारकेम्प® की मदद ने परेश को बना दिया; राकेश, पंचम, दशरथ, वल्लभ और उत्तम जैसे सेंकड़ों नवयुवकों की नज़र में भगवान का एक दूत।
उसकी संस्था पारकेम्प® के प्रवर्तक की दृष्टि में; परेश है एक "प्रतिष्ठित इकोदूत" शिविर समन्वयक।
इस पूरे लेख में, कुल 4 अण्डरलाईन्ड लिंक हैं। अपने आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिये; धैर्य-पूर्वक सभी का अध्ययन करने के बाद, अगला कदम उठायें।
इस पूरे लेख में, 15 प्रखण्डों में 1+7+2+7+7+6+9+16+8+7+10+6+3+2 = कुल 111 पंक्तियां हैं।
समझ न आने पर, प्रखण्ड की लाइन का उल्लेख करने पर; हम अधिक सार्थक सम्वाद बैहिचक कर सकते हैं, कम से कम समय में।
मेल/मैसेज द्वारा कभी भी संपर्क के अलावा सीधा दूरभाष संपर्क; सुबह ग्यारह बजे से सुबह साड़े ग्यारह बजे के बीच बैहिचक कर सकते हैं।
यदि आप भी परेश जैसा "शिविर समन्वयक" बनना चाहते हैं, तो यहां से पंजियन-पुस्तिका के लिए अनुरोध करें। अपने ईमेल, नाम, डाक का पूरा पता, पिन कोड और मोबाइल सहित।
याद रखें आपका यही मोबाइल नम्बर हर पंजियन-पुस्तिका के अन्तिम पृष्ठ में छपा दिखेगा; पुस्तिका के खरीददारों को।
पंजियन-पुस्तिकाओं के लिए अनुरोध यहां से करें।
आपको यहां पर यह पक्के तौर पर समझ लेना चाहिए की शुरुआत के लगभग 3 माह का समय; आप अपने व्यवसाय को, जमाने में लगाने वाले हैं।
इस व्यवसाय में आपको किसी प्रकार की; बड़ी पूंजी की आवश्यकता नहीं है; बस समय भर लगाने की आवश्यकता है।
इन शुरू के 3 माह में की गई, मेहनत के बलबूते पर ही; आप आने वाले दिनों में, लाखों रुपए कमाने वाले हैं।
आपके द्वारा 500 पंजियन-पुस्तिकाओं का आदेश व उसके बाद उतने ही पंजियन पूर्ण होते ही, शिविर आयोजन संबंधित विस्तृत जानकारी व नए आदेश-प्रपत्र की लिंक आपको मिल जाएगी।
जिसके माध्यम से आपकी असली कमाई आरम्भ होगी।
जौखिम और जौखिम के घटक
ऊपर दर्शायी गयी गणनानुसार सभी कुछ होगा, निर्भर करता है; कितने त्वरित एक्शन, समयानुसार आप और हम ले पाते हैं?
किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना, परिस्थति या घटनाक्रम; उदाहरण के लिए, युद्ध, दंगे, भूकंप, भूस्खलन, तूफान, बिजली गिरना, विस्फोट, ऊर्जा ब्लैकआउट, महामारी, अप्रत्याशित कानून, तालाबंदी, बहिष्कार, मंदी/ हड़ताल. रास्ता-ज़ाम, इंटरनेट/डिजिटल/सर्वर अटैक या मालफंग्शन, वैयक्तिक स्वास्थ्य सम्बन्धित गडबडी, ईर्ष्या-द्वेश उकसाने वाली किसी भी प्रकार की; जाने-अनज़ाने में की गयी कार्यवाही, सड़क दुर्घटना, आगज़नी, दुष्प्रचार, थके या बिके हुये कर्मचारी, ठेकेदार, वित्तीय-असावधानी; प्रखण्ड 3 की दूसरी; प्रखण्ड 4 की पांचवी; प्रखण्ड 6 की पहली, दूसरी व तीसरी, प्रखण्ड 7 की नौंवी; प्रखण्ड 8 की दूसरी, तीसरी, पांचवी, छठी, सातवी व दसवीं, ग्यारहवी व चौदहवी; प्रखण्ड 10 की दूसरी व तीसरी पंक्ति के अनुपालन में ढिलायी या गलत अन्दाज़, इत्यादि; हमारा गणित और हमारे दशलक्षपति बनने की रफ्तार बिगाड़ने की ताकत रखते हैं।
पंजियन-पुस्तिकाओं के लिए अनुरोध Request for Registration booklets
कृपया मुझे वीपीपी के माध्यम से पंजियन-पुस्तिकाओं की निम्नलिखित संख्या भेजें। मैं वादा करता हूं कि मैं डाकिया को भुगतान करके डिलीवरी लूंगा। हमें सबसे पहिले अपना वह ईमेल पता लिखना है; जिसे हम नियमित रूप से जांचते हैं
Please send me following number of enrollment booklet via VPP. I promise I'll take delivery by paying to the postman.